"मैं एक लड़की हूँ, कमजोर नहीं"

          *मैं एक लड़की हूँ, कमजोर नहीं *


मैं एक लड़की हूँ, कमजोर नहीं. जभी मैं आगे बढ़ने की कोशिश करू तो रोक दी जाती हु यह कह कर की मैं इस मेहनत भरे रास्ते पर नहीं चल पाऊँगी। हमेशा से मुझे भईया से कम माना गया। भईया को सारी छूट दी गई पर मुझे इस समाज के परंपराओं में बांध दिया गया, यह बोल कर की मैं लड़की हु, लड़कियों का काम होता है घर में चूल्हा चौका करना और अपने परिवार को संभालना, मेरे सारे सपने तोड़ दिए गए। घर से बाहर जाने से मना कर दिया गया यह बोल कर की,पागल है क्या तू? बाहर कितने हादसा बढ़ रहे है और तुम्हे बाहर जाना है? खबरदार अगर तूने घर से पाव निकाला तो। मुझे सादे    t-shirt jeans भी पहनने से मना कर दिया गया यह बोल कर की समाज क्या बोलेगी, सब ताने मारेंगे, संस्कार के नाम की चीज नहीं है तुम्हे और बची कसर समाज पूरा कर देता है यह बोल कर की लड़कियों के छोटे कपड़े पहनने की वजह से ही रेप होते है। शाम से पहले हमे घर बुला लिया जाता है यह बोल कर की कही कोई हादसा न हो जाए।

बेटियों को बराबरी का दर्जा दीजिये,
समाज में जागरूकता फैलाइये ।

लडको को अपने तरीके से समाज ने पूरे हक से छूट दे रखी है तो क्यों लड़कियों को अपने हाथों की कटपुतलिया बना रखा है । वो भी इंसान होती है, उन्हें भी जिंदगी पूरे हक से अपने तरीके से जीने का हक है। तुम कौन होते हो उसे रोकने वाले की उसे क्या करना चाहिए क्या नहीं।

गुनाह कोई और करता है दोष तुम उसके कपड़ों को देते हो?😠😠तो बुरखा पहनने वाली एक लड़की के साथ भी रेप हुआ, एक 5 साल की मासूम बची के साथ भी रेप हुआ, क्या अभी भी यह समाज कपड़ो को दोष देगी?


"जिस घर में होता बेटी का सम्मान, वह घर होता स्वर्ग समान"

अपने लडको को भी शाम से पहले घर बुला लीजिए जिससे किसी लड़की की रेप होने से बच जायेगी। 

हा.... माना की सारे लड़के एक जैसे नहीं होते पर जो प्रतिबंध लड़कियों पर लगाए जाते है वो लडको पर भी लगाए जाने चाहिए शायद कुछ हद तक यह रेप केसेस काम हो जाए। 

चाल चलन, ढंग, सोच बदलने की जरूरत तो सबको है, ख़ास कर उन लोगो को जो ऐसे घिनौनी हरकत करते है।

उन मां बाप को जरूरत है जो अपने लड़कियों को घर से बाहर नहीं निकले देते, उन्हे उनके सपने पूरे नही करने देते इस दर से की उसके साथ कुछ हादसा हो जाये।

"लड़किया नहीं है किसी से कम, 

मिटा दो अपने सारे भ्रम"

हम शेरनिया है इस देश की जहा लड़कियों को देवी का रूप माना जाता है। हमे डरने की जरूरत नहीं है, डरने की जरूरत तो उन्हे है जो ऐसे गुनाह करते है। हमे डरने की जरूरत नहीं है क्युकी हम लड़की है, कमजोर नही। 

और जो हमे कमजोर समझे उसकी बड़ी भूल है।

"अपनी सोच का करो सुधार, बिन बेटी न चले संसार"


Comments

Popular posts from this blog

Tum Mujhko Kab Tak Rokoge Poetry by Amitabh Bachchan

"Sadness🥺 is a part of our life as Happiness😀"by Ritika Yadav